Monday, February 2, 2009

manzil की चाह है to, कई मोड़ कई मंज़र से गुज़रना होगा,
थक-कर गिरना, गिरकर-सम्भलना , मगर चलना होगा।
~दिल से~
कविता
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,
डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाँथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही moti गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संगहर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
~हरीवंश राय बच्चन ~
***

2 comments:

Anonymous said...

Very True. Try n try and u will always succeed. If u r not able to reach the stars; atleast you will fall on a coconut tree!!

Anonymous said...

lovely..... my favourite poem....this poem gives a lot of strength and will power to face the difficulty in this life.....